Famous Gurudwara in Dehradun jhanda ji sahab best place
Jhanda JI
झंडे जी (Jhanda Ji) देहरादून का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो गुरुद्वारा श्री गुरु राम राय साहिब के नाम से भी जाना जाता है। यह उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के सबसे पुराने और ऐतिहासिक गुरुद्वारों में से एक है। आइए विस्तार से जानते हैं:Mussoorie, BEST time visit place
🛕 गुरुद्वारा Jhanda JI श्री गुरु राम राय साहिब — मुख्य बातें:
📍 स्थान:
- स्थित है: देहरादून के बीचोंबीच, झंडा बाज़ार क्षेत्र में।
- नजदीकी रेलवे स्टेशन: देहरादून रेलवे स्टेशन से लगभग 2-3 किमी दूरी पर।
👳♂️ इतिहास:
- यह गुरुद्वारा सातवें सिख गुरु, श्री गुरु हर राय जी के पुत्र श्री गुरु राम राय जी द्वारा 17वीं सदी में स्थापित किया गया था।
- गुरु राम राय जी को औरंगज़ेब के दरबार में सिख धर्म का प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजा गया था। बाद में उन्होंने देहरादून को अपना निवास स्थान बना लिया और यहाँ एक “डेरा” स्थापित किया, जिससे आगे चलकर देहरादून का नाम पड़ा।
🚩 झंडा मेला: Jhanda JI
- हर साल फाल्गुन महीने (मार्च के आस-पास) में यहाँ भव्य Jhanda JI “झंडा मेला” आयोजित होता है।
- इस मेले में देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं और एक विशाल धार्मिक झंडा (निशान साहिब) को नए कपड़े से लपेटकर फहराया जाता है।
- यह झंडा गुरु राम राय जी की शिक्षाओं और यादों का प्रतीक है।
🏛️ स्थापत्य कला:
- गुरुद्वारे की इमारत मुगल और राजपूत स्थापत्य शैली का सुंदर संगम है।
- दीवारों और छतों पर की गई पुरानी चित्रकारी और नक्काशी बहुत प्रसिद्ध है।


🌸 महत्त्व:
- यह स्थल न केवल सिखों के लिए बल्कि अन्य धर्मों के लोगों के लिए भी श्रद्धा का केंद्र है।
- यहाँ लंगर सेवा (मुफ़्त भोजन) नियमित रूप से होती है, जिसमें हर जाति, धर्म और वर्ग के लोग भाग ले सकते हैं।
🔶 गहराई से जानकारी: गुरुद्वारा श्री गुरु राम राय साहिब, देहरादून
🧑🏫 गुरु राम राय जी कौन थे?Jhanda JI
- गुरु राम राय जी, सातवें सिख गुरु, श्री गुरु हर राय जी के ज्येष्ठ पुत्र थे।
- मुगल सम्राट औरंगज़ेब ने गुरु हर राय जी से किसी धार्मिक मुद्दे पर बातचीत के लिए उनके पुत्र को दरबार बुलाया था।
- गुरु राम राय जी ने सिख धर्म के सिद्धांतों को समझाया और औरंगज़ेब को संतुष्ट किया।
- बाद में उन्हें दिल्ली में रहने का आदेश मिला, लेकिन उन्होंने वहाँ से हटकर एक शांत जगह की तलाश की और दून घाटी (अब देहरादून) में अपना डेरा जमाया।
🏗️ गुरुद्वारे का निर्माण और स्थापत्य कला:
- गुरुद्वारे का निर्माण 17वीं शताब्दी के अंत में हुआ था।
- इसका आर्किटेक्चर मुग़ल, राजस्थानी और पहाड़ी शैली का मिश्रण है।
- मुख्य भवन में खूबसूरत फ्रेस्को पेंटिंग्स (दीवार चित्रकारी) हैं जो अब भी काफी हद तक संरक्षित हैं।
- इमारत के भीतर रंग-बिरंगे चित्र, फूल-पत्तियों की डिज़ाइन और धार्मिक प्रसंगों को दर्शाते दृश्य बनाए गए हैं।
📜 धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:
- यह गुरुद्वारा राम रायिया सम्प्रदाय का मुख्य केन्द्र है, जो गुरु राम राय जी के अनुयायियों द्वारा चलाया जाता है।
- यह स्थान सिख धर्म से थोड़ा अलग होकर एक स्वतंत्र धार्मिक परंपरा का पालन करता है।
- हर साल यहां विशाल झंडा मेला होता है जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
🧭 प्रमुख गतिविधियाँ और विशेषताएं:
✅ 1. झंडा मेला:
- हर साल होली के पाँचवें दिन आयोजित होता है।
- विशालकाय लकड़ी के खंभे पर एक बहुत बड़ा कपड़े का झंडा (निशान साहिब) चढ़ाया जाता है।
- यह झंडा पूरे वर्ष लहराता है और श्रद्धालुओं के लिए पवित्र माना जाता है।
✅ 2. लंगर सेवा:
- गुरुद्वारे में हर दिन निशुल्क भोजन सेवा (लंगर) होती है, जिसमें किसी भी धर्म, जाति या वर्ग का व्यक्ति आकर भोजन कर सकता है।
✅ 3. सरोवर (तालाब):
- गुरुद्वारे परिसर में एक सुंदर पवित्र तालाब है, जिसे श्रद्धालु धार्मिक स्नान के लिए उपयोग करते हैं।

✅ 4. धर्मशाला और आवास सुविधा:
- श्रद्धालुओं के लिए गुरुद्वारे में रहने की व्यवस्था भी की जाती है, खासकर झंडा मेले के दौरान।

JHANDA JI SAHAB PICTURE

SOME BEAUTIFUL PICTURE JHANDA JI GURUDAWARA SAHAB JI




📍 कैसे पहुँचें:
मार्ग | विवरण |
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🚆 रेलवे से | देहरादून रेलवे स्टेशन से 2-3 किमी दूरी पर |
✈️ हवाई मार्ग से | जॉली ग्रांट एयरपोर्ट से लगभग 25-30 किमी |
🚗 सड़क मार्ग से | देहरादून शहर के झंडा बाज़ार क्षेत्र में आसानी से पहुँचा जा सकता है |